
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा ना केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह आस्था, परंपरा और समर्पण का भव्य संगम भी मानी जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार उत्सव के रंग में मातम घुल गया। श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ ने तीन लोगों की जान ले ली और कई घायल हो गए। इस दुखद घटना ने ना केवल लोगों की भावनाओं को झकझोर दिया, बल्कि प्रशासनिक तैयारियों की पोल भी खोल दी।
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मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने माफी मांगते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की है, वहीं विपक्ष ने इसे ‘गंभीर चेतावनी’ करार देते हुए सरकार को घेरा है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सबक भी है — भीड़ का आकलन हो लेकिन श्रद्धा की कीमत पर नहीं।
मुख्यमंत्री की माफ़ी और बड़ा प्रशासनिक एक्शन
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए माफ़ी मांगी। सीएम ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जानकारी साझा की गई कि मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। प्रशासनिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं, जिसका नेतृत्व उन्नयन कमिश्नर करेंगे।
सिर्फ इतना ही नहीं, पुरी के कलेक्टर और एसपी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। चंचल राणा नए कलेक्टर और पिनाकी मिश्रा नए एसपी बनाए गए हैं। वहीं डीसीपी विष्णुपति और कमांडेंट अजय पाढ़ी को जिम्मेदारी में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
राहुल गांधी का तीखा बयान: “यह एक चेतावनी है”
इस पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “पुरी में रथयात्रा के दौरान हुई भगदड़ की घटना अत्यंत दुखद है। यह त्रासदी एक गंभीर चेतावनी है। सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की समीक्षा अब वक्त की ज़रूरत है।”
राहुल गांधी ने ओडिशा सरकार से राहत कार्यों में तेजी लाने की अपील की और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पीड़ितों की मदद करने को कहा।
सवालों के घेरे में व्यवस्था: श्रद्धा नहीं संभाल पाई व्यवस्था!
इतनी बड़ी घटना और फिर अफसरों पर कार्रवाई, माफ़ी और जांच की घोषणा – यह सब उस समय हो रहा है जब सवाल यह है कि भीड़ प्रबंधन की तैयारी क्या वाकई पर्याप्त थी? करोड़ों का आयोजन, दर्जनों विभाग, सैकड़ों पुलिसकर्मी – और फिर भी रथ के नीचे श्रद्धा रौंदी गई?
कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी सवाल उठाए कि इतनी बार ऐसी घटनाएं होने के बाद भी क्या कोई सीखा ही नहीं?
पुरी रथयात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा चूक की कीमत श्रद्धालुओं की जान से चुकानी पड़ती है। यह त्रासदी सरकार, प्रशासन और समाज सभी के लिए एक चेतावनी है। अब समय है कि श्रद्धा के साथ-साथ सतर्कता को भी प्राथमिकता दी जाए।
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